समय का चक्र चलता है और
अच्छी चीजें वापस लौटकर आती है। हमारे देश में एक दिक्भ्रांति और अंधी
दौड़ का दौर चल रहा है और इसकी व्याप्ति भयावह है। इस दौर से थक-हारकर
जब लोग निराश बैठेंगे तो काव्य भारती की चीजों की उन्हें जरूरत पड़ेगी
क्योंकि इन गीतों,
नृत्यों नाटकों तथा नृत्य नाटिकाओं में हमारे देश की उच्चतम और भव्य
संस्कृति का निरूपण है। अतएव यह आवश्यक है कि हम अपनी आज की इस उपलब्धि
को कल की पीढ़ी के लिए सहेज कर और संरक्षित करके रखे ताकि समय आने वाली
भावी पीढ़ी तथा दूर-दूर
में फैले हुए रूचि सम्पन्न लोग इसका उपयोग कर सकें। |