उद्देश्य
आप जानते हैं कि हिन्दी भाषियों का एक विशाल समाज है हिन्दी भाषी ना सिर्फ भारत में है अपितु विदेशो में भी भारी संख्या में वे है औऱ यह भी कि हिन्दी का साहित्यिक भंडार ना सिर्फ विशाल है बल्कि विश्व वंदनीय भी है हिन्दी भाषा में संस्कृतए अपभ्रंशए मैथिलए अवधिए व्रजए राजस्थानी एउर्दू आदि अनेक भाषाएँ समाहित हैं अतएव आप इसकी विशालता का अनुमान लगा सकते हैं एकिन्तु अफसोस है कि हिन्दी समाज आज अपने गौरव को भूल कर आधुनिकता के चक्कर में फूहड़ अमेरिकन संस्कृति का कायल है आज हमारा हिन्दी युवा हिन्दी के फूहड़ गीतों को गाकर अपने आपको आधुनिक जताने का प्रयास करता है।जबकि बंगाली गुजरातीए उड़ियाए असमियाए मराठी आदि समाज के शिक्षित और अशिक्षित वर्ग के लोग अपनी भाषा के साहित्यिक गीतों को न सिर्फ जानते हैं उन्हें गाते भी हैं। इसी कमी को दूर करने का प्रयास विगत 67 वर्षों से काव्यभारती कर रही है ऐसा नहीं है कि लोगो ने इन गीतों को स्वरबद्ध नहीं किया किन्तु शास्त्रीयता के चक्कर में इन्हें इतना दुरूह बना दिया है कि ये गीत उनकी पहुँच के बाहर हो जाते जबकि काव्य भारती ने सभी गीतों को सरलए सुगमए मधुर और कर्णप्रिय धुनों में बांधकर परोसा है जिसे सामान्य से सामान्य संगीत रसिक श्रोता एक बार मे ही सुनकर गा लेते हैं। उसी तरह जैसे वे फ़िल्म के गीतों को सुनकर गाते।आज हजारो लाखों लोग जिन्होंने भी विभिन्न माध्यमो से इन गीतों को सुना है वे गाते हैं।
संगीत नृत्य और पारंपरिक शिक्षा के एक से एक विद्यापीठ औऱ विश्वविद्यालय हमारे देश में हैं फिर काव्यभारती विद्यापीठ में ऐसा नया क्या है। तो हम आपको बता दे कि एक शान्ति निकेतन को छोड़ कर हमारे देश में अन्य श्रेष्ठतम विश्वविद्यालय या तो अकेडमिक शिक्षा देते हैं या खैरागढ़ विश्वविद्यालय की तरह संगीत की शिक्षा देते हैं जबकि शांति निकेतन में छात्र अपनी अकेडमिक शिक्षा के साथ साथ साहित्य संगीतए नृत्यए चित्रकारीए अभिनय की शिक्षा भी साथ साथ ग्रहण करता है लेकिन हिंदी क्षेत्र में ऐसा कोई विद्यालय नही है इसी लिए हम काव्यभारती विद्यापीठ को हिन्दी का नया शांति निकेतन कहते है।
काव्यभारती विद्यापीठ की रूपरेखा.
यह एक आवासीय विद्यालय होगा ।जहां हम बच्चे को अपने पास रखकर केण्जीण् से लेकर पीण् एचण् डीण् तक कि पढ़ाई कराएंगे। साथ ही उन्हें कला और साहित्य की विभिन्न कला में निष्णात करेंगे।इस तरह हम समाज को न सिर्फ एक छात्र देंगे अपितु वह सुसंस्कृत भी होगा।
अपील
आज काव्यभारती के संस्थापक मनीष दत्त 80 वर्ष के हो चले है। विगत सात दशकों से अथक परिश्रम करके इतनी बड़ी उपलब्धि समाज को दी है 2000 गीतों की संगीत रचना औऱ नृत्य रचना। 150 नृत्य नाटिकाओं का अभिनय संयोजन उन्होंने ही किया है यदि समय रहते हम इसे मूर्त रूप नहीं दे पाए एतो यह हमारी अपराधिक लापरवाही होगी इसलिए हम आपसे अपील करते हैं कि हिन्दी समाज की इस मौलिक धरोहर को मूर्त रूप देकर विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर जिस तरह अकेले रविन्द्र नाथ ने शांति निकेतन औऱ मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ( BHU ) गढ़ दिया उसी तरह आइए हम सब मिलकर हिन्दी का नया शांति निकेतन काव्यभारती विद्या पीठ गढ़ दें।
विशेष
आगे की योजनाएं समय समय पर अपने देश और विदेश के मित्रो को फेस बुक Manish Kavyabharti एवं अन्य माध्यमो से सूचित करते रहेंगे।
इस संबंध में विस्तृत आर्थिक योजना हम बाद में प्रस्तुत करेंगे ।
|