मनीष दत्त ने काव्य भारती
के रूप में हिन्दी समाज के लिये एक साहित्यिक,
सांस्कृतिक दैनंदिन और व्यवहारिक पक्षों की ठोस योजना
बहुत पहले से बना रखी है। इस व्यापक और कल्याणकारी सांस्कृतिक योजना के
अंतर्गत वे निम्नलिखित कार्यक्रमों का मूर्त रूप देना चाहते हैं।
काव्य भारती,
काव्य संगीत अकादमी
इस अकादमी की स्थापना
मनीष दत्त ने 10
मई 1980 को सुप्रसिद्ध
गिटारिष्ट सुनील गांगुली के करकमलों द्वारा करवाया था। इसके अंतर्गत
बच्चों को काव्य गायन, काव्य नाटक,
काव्य नृत्य मंचीय विज्ञान (प्रकाश,
ध्वनि निर्देशन, रूप सज्जा आदि)
का प्रशिक्षण देकर उनकी प्रायोगिक तथा लिखित परीक्षा
ली जाती थी और उन्हें प्रमाण पत्र दिये जाते थे। यह पाठ्यक्रम स्नातक
स्तर तक चलता था और लगभग 7 हजार छात्रों ने
अपनी स्कूली और महाविद्यालीय पढ़ाई के साथ-साथ
ये परीक्षाएं उत्तीर्ण की है। यह कार्यक्रम लगभग 15
वर्षों तक चलता रहा, फिर
अर्थाभावों के कारण इसे बन्द करना पड़ा। मनीष दत्त चाहते हैं कि यह
पाठ्यक्रम पुनः प्रारंभ किया जाए और इसे न सिर्फ बिलासपुर बल्कि सारे
देश भर में इसकी शाखाएं खोली जाए। इसकी इस ठोस योजना मनीष दत्त ने बना
रखी है और बस समय का इंतजार है।
काव्य भारती विद्यापीठ
(सांस्कृतिक,
सामाजिक और शैक्षणिक उत्कृष्टता की संस्था)
यह योजना भी एक
महत्वाकांक्षी योजना है,
जहां छात्रों को नर्सरी से आरंभ कर स्नातकोत्तर स्तर
तक विविध विषयों की प्रचलित शिक्षा दी जाए। साथ-साथ
उन्हें सामाजिक, सांस्कृतिक तथा बौद्धिक रूप से
एक जिम्मेदार एवं सुसंस्कृत नागरिक के रूप में समाज को प्रदान किया
जाए। यह विद्यालय आवासीय होगा ,ताकि छात्र
काव्य भारती के मार्गदर्शन में विकसित हो। इसमें प्राच्य विषयों की
शिक्षा के अलावा, आधुनिक,
व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की भी व्यवस्था होगी।
जो छात्र जुटाये जायेंगे
वे निम्न श्रेणियों से हमें मिलेंगे:-
\9E
आदिवासी
अंचलों के निर्धन छात्र और अनाथ और परित्यक्त बच्चों को आश्रय देकर
अपने विद्यापीठ के माध्यम से योग्य और उदार नागरिक के रूप में विकसित
करेंगे यह पूरा कार्यक्रम छात्र के लिए निःशुल्क होगा तथा इसका व्ययभार
संस्था के उदार दानदाताओं द्वारा वहन किया जायेगा।
\9E
ऐसे
मेधावी छात्र जो समाज की मुख्य धारा में है तथा जिनके पालक उन्हें
अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं उन्हें विद्यापीठ परिसर में रखकर शिक्षा
दी जायेगी और इनकी शिक्षा का व्ययभार छात्र के अभिभावक वहन करेंगे।
नोट:-
इस तरह विद्यालय में सभी तरह के छात्र एक साथ रहकर
शिक्षित होंगे और इनमें कोई भेदभाव नहीं होगा।
कलाकारों को आमंत्रण
देश भर से ऐसे समर्थ और
प्रशिक्षित कलाकार जो गायन,
वादन, नृत्य,
चित्रकारी, नाटक आदि विधा में
दखल रखते हैं और जो इस सांस्कृतिक यज्ञ में हाथ बंटाना चाहते है उन्हें
संस्था द्वारा सादर आमंत्रित किया जाता है।
प्रदर्शन
काव्य भारती द्वारा तैयार
गीतों,
नृत्यों तथा नृत्यनाटिकाओं के प्रदर्शन के लिए अनेक नियमित दल बनाकर
विभिन्न नगरों संस्थानों में प्रदर्शन हेतु भेजा जायेगा। आज भी ऐसे
कार्यक्रमों के निमंत्रण हमें विभिन्न नगरों और संस्थाओं द्वारा दिये
जाते हैं, किन्तु नियमित कलाकार न होने के कारण
मांग के बावजूद हम अधिकांश कार्यक्रम नहीं कर पाते।
दृश्य श्राव्य स्टूडियो
संस्था के पास गीतों और
नृत्यनाटिकाओं के आडियो-वीडियो
रिकार्डिंग के लिए अपना एक स्टूडियो आवश्यक है,
जिसमें नियमित रूप से साउण्ड रिकार्डिस्ट,
कैमरामेन, वादकदल,
लाईटमेन आदि संबंधित कार्मिकों के अतिरिक्त उपकरण और वाद्ययंत्र भी
हों।
प्रकाशन और विक्रय विभाग
काव्य भारती से संबंधित
एक त्रैमासिक मुखपत्र,
काव्य संगीत का नियमित प्रकाशन हो साथ ही गीतों और
नृत्यों के सी.डी.
बनाकर उन्हें संबंधित पक्षों को उपलब्ध कराने के लिए एक वितरण विभाग भी
हो।
संस्था का कार्यस्थल
उपरोक्त सारी गतिविधियों
को एक साथ संचालित करने के लिए एक स्वस्थ और सुरूचिपूर्ण एवं सुविधाजनक
परिसर का होना आवश्यक है,
जिसमें उपरोक्त सारी गतिविधियां अबाध रूप से संचालित
की जा सके। इनमें विद्यालय भवन, छात्रावास,
शिक्षक एवं अन्य कर्मियों का रहने का आवास,
खेल मैदान, मुक्ताकाश रंगमंच,
बैठकों के लिए बड़े कमरे,
पुस्तकालय एवं संग्रहालय एवं वाचनालय भवन उद्यान आदि एक साथ हो। इसके
लिए विस्तृत क्षेत्र की आवश्यकता होगी।
स्वयं का शिक्षा केन्द्र
प्रारंभिक दौर में
स्थानीय निकायों से संबंद्धता प्राप्त कर शैक्षणिक और कला की शिक्षा दी
जायेगी,
किन्तु कालान्तर में अपनी स्वतंत्र मौलिकता और पहचान बनाने के लिए
विश्वविद्यालय की स्थापना की जावे।
काव्य भारती का विस्तार
देश के
सभी क्षेत्रों में काव्य भारती की शाखायें स्थापित की जायें और वे भी
इन्हीं सब गतिविधियों को संचालित करें।
कलाकारों को प्रोत्साहन
देश के विभिन्न क्षेत्रों
में कला मंडलियों से संपर्क कर वहां कार्यशालाएं आयोजित करना और उन्हें
साहित्य के प्रचार-प्रसार
के साथ जोड़ना तथा उन्हें हर संभव सहयोग प्रदान करना।
अन्य गतिविधियां
इनके अतिरिक्त
आवश्यकतानुसार तथा सुविधानुसार अन्य गतिविधियां भी प्रारंभ की जा सकती
है, जो
हमारे उद्देश्यों के अनुकूल और समाज कल्याणकारी हो। |